भोपाल। देश मे लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है। जिसमे प्रदेश की विंध्य अंचल की सीधी लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है।इस बार यंहा के चुनावी समर में बीजेपी की ओर से डॉ राजेश मिश्रा और कांग्रेस की ओर से कमलेश्वर पटेल आमने सामने है।तो गोंगपा ने पूर्व राज्यसभा सांसद अजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बसपा से पूजन राम साकेत मैदान में है।

सीधी लोकसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थित

भागौलिक रूप से सीधी लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों सीधी शहडोल और सिंगरौली तक फैला हुआ है। पिछले चुनाव तक यह दो जिलों सीधी और शहडोल तक था लेकिन बाद में सिंगरौली नया जिला बन गया। इसके बाद इसकी सीमा तीन जिलों को छूने लगी। लोकसभा की सीमा में आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से सीधी जिले की चार विधानसभा सीटें चुरहट, सीधी, सिहावल और धौहनी आती हैं। सिंगरौली जिले की तीन सीटें  चितरंगी, देवसर और सिंगरौली हैं जबकि एक सीट व्यौहारी शहडोल जिले की है। इनमें से सिर्फ चुरहट में कांग्रेस का कब्जा है। कांग्रेस के अजय सिंह 27 हजार 777 वोटों के अंतर से जीते हैं। शेष सभी सीटों में भाजपा काबिज है। उसकी जीत का अंतर कुल मिलाकर 2 लाख 2 हजार से ज्यादा है। इससे भाजपा की ताकत का पता चलता है। सीधी का राजनीतिक मिजाज 2007 तक मिला जुला था। 1991 और 2007 में कांग्रेस जीती और 1996 में पूर्व मुख्यमंत्री स्व अर्जुन सिंह की पार्टी तिवारी कांग्रेस से तिलकराज सिंह जीते थे। 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। जैसे ही परिसीमन के बाद सीट सामान्य हुई, उसके बाद हुए तीन चुनावों में भाजपा ने ही बाजी मारी।

विधानसभा में स्थिति भाजपा 7, कांग्रेस 1

हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो भाजपा ने लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभा सीटों में 7 पर जीत हासिल की जबकि कांग्रेस 1 ही सीट अपने खाते में क्रेडिट कर पाई । 2018 विधानसभा में भी यही स्थिति थी। 2018 में क्षेत्र की आठ में से सिर्फ एक सीट सिहावल में कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल जीते थे, जबकि 2023 में कांग्रेस के अजय सिंह चुरहट की सीट जीते। कांग्रेस के हालात पिछली बार जैसे ही नज़र आते हैं ।

क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण ?

2008 से पहले सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी।उस समय कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा इस लोकसभा सीट से जीतती रही।2008 के परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य हुई तब से सीट पर भाजपा का कब्जा है। 2009 का पहला चुनाव गोविंद मिश्रा जीते थे। इसके बाद 2014 और 2019 के दाे चुनाव भाजपा की ही रीति पाठक जीतीं। इस बार भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी बदलने से राजनीतिक समीकरण भी बदले हैं।मसलन अब तक भाजपा को सिंगरौली क्षेत्र से जनता का साथ मिल रहा था, लेकिन इस चुनाव में ऐसा होगा कहना मुश्किल है क्योंकि कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल का इस क्षेत्र में असर है।कमलेश्वर यहां काफी सक्रिय रहते हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का साथ मिला तो क्षत्रिय और उनके प्रभाव वाला वोट भी भाजपा से छिटक सकता है। तो वंही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से मैदान में अजय प्रताप सिंह की भी नज़र इन वोटर्स पर हैं। इसके अलावा सीधी क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है। कमलेश्वर इस अंचल में पिछड़ों के नेता के तौर पर भी पैठ हैं। वंही भाजपा प्रत्याशी डॉ राजेश मिश्रा साफ सुथरी छवि के व्यक्ति हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता उनकी बड़ी ताकत है। क्षेत्र में भाजपा का स्थाई वोट बैंक है। हालांकि राजेश बसपा से विधानसभा का एक चुनाव लड़कर हार चुके हैं।और अब सीधी से भाजपा प्रत्याशी है।

लोकसभा का जातिगत समीकरण ?

सीधी लोकसभा क्षेत्र में अजा-जजा, ब्राह्मण, पिछड़ों काफी संख्या में है परिसीमन से पहले सीधी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी, इससे पता चलता है कि क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की तादाद ज्यादा है। क्षेत्र की 8 में से 3 विधानसभा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। अनुसूचित जाति वर्ग को मिला कर यह ताकत और बढ़ जाती है। इस वर्ग के लिए भी एक विधानसभा सीट आरक्षित है। दोनों वर्ग के मतदाताओं की तादाद 4 लाख के आसपास है। इसके बाद  ब्राह्मण और पिछड़े वर्ग के लगभग बराबर 3-3 लाख मतदाता हैं। पिछड़ों में पटेलों के अलावा काछी और यादव बड़ी तादाद में हैं।

जनता किसकी गारंटियों पर करेगी भरोसा ?

दोनों प्रमुख दलों के अपने राष्ट्रीय और प्रादेशिक मुद्दे हैं।इसके अलावा छोटे दल और निर्दलीय भी जनता को किसी तरह अपने पक्ष में करने खूब पसीना बहाते नज़र आ रहे है। भाजपा केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कराए गए कार्य गिना रही है तो कांग्रेस उनकी सरकार में किए कार्य बता रही है। कांग्रेस बता रही है कि हम सभी किसानों का कर्ज माफ करने वाले थे, लेकिन भाजपा के आने के बाद ऐसा नहीं हो सका। विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने गारंटियों की बात की थी, इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गारंटी देने लगे। चुनाव में दोनों की गारंटियां चल रही हैं। भाजपा कहती है कि ‘कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बचेगा यह मोदी गारंटी है। राजनीति में परिवारवाद को पनपने नहीं देंगे, यह मोदी की गारंटी है।’ दूसरी तरफ कांग्रेस पांच वर्गों को न्याय दिलाने की बात कर रही है। इसके साथ पार्टी की लगभग दो दर्जन गारंटियां भी हैं, जिनका प्रचार किया जा रहा है।राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के बड़े नेता भी लगातार अपनी पार्टी के पक्ष में प्रचार करते घूम रहे है

क्या इस बार कड़ा मुकाबला होगा ?

पिछले दो चुनावो में क्षेत्र की जनता ने भाजपा की रीति पाठक पर भरोसा कर उन्हें संसद पहुँचाया।प्रदेश में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सांसद रीति पाठक विधानसभा का चुनाव लड़ाया और वे चुनाव जीतकर वर्तमान में विधानसभा सदस्य है।इस बार पार्टी ने डॉ राजेश मिश्रा को प्रत्याशी बना मैदान में उतारा है।

वंही कांग्रेस ने पूर्व मंत्री रहे कमलेश्वर पटेल पर भरोसा जताया है।भाजपा प्रत्याशी डॉ राजेश शुक्ला को कांग्रेस प्रत्याशी कड़ी टक्कर देते दिखाई पड़ रहे है इसकी दो वजहें है पहला क्षेत्र में पटेल सहित पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद और दूसरा, भाजपा के राज्यसभा सांसद रहे अजय प्रताप सिंह का पार्टी से बगावत कर गोंगपा से चुनाव मैदान में उतरना जिसका घाटा बीजेपी को हो सकता है।वंही भाजपा भी पिछले चुनावों में अपने अच्छे प्रदर्शन को लेकर पूरे उत्साह में नज़र आ रही है।अब सीधी लोकसभा की जनता जनार्दन ही यह फैसला करेगी कि सीधी से संसद का सफर कौन तय करेगा।

Spread the love