नई दिल्ली । ‘कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, इसकी पकड़ से कोई बच नहीं सकता’…बॉलीवुड की हर कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म में ये डायलॉग एक ना एक बार तो इस्तेमाल होता ही है। लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में ये लोगों को लाइव देखने को मिला।
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की ना-नुकुर के बावजूद अब उसने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए एसबीआई को इसके लिए 12 मार्च तक का समय दिया था और अब चुनाव आयोग को ये सारा डेटा अपनी वेबसाइट पर 15 मार्च शाम 5 बजे तक लगाना है।
इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इसे असंवैधानिक करार दिया था। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत दिए गए ‘सूचना के अधिकार’ का उल्लंघन माना गया। इसके बाद एसबीआई को इससे जुड़ा सारा डेटा 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपने के लिए कहा था। लेकिन इस काम में एसबीआई ने असमर्थता जाहिर की और सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का एक्सटेंशन मांगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यहीं पर कड़ा रुख अपनाया।
दिखा सुप्रीम कोर्ट की फटकार का असर
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की एक्सटेंशन याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई की. मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एसबीआई ने इस मामले में 11 मार्च तक क्या प्रोग्रेस की? इस पर कोई जवाब एसबीआई की ओर से नहीं दिया गया। डेटा के मिलान की बात एसबीआई ने की तो इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने डेटा के मिलान का आदेश तो दिया ही नहीं, बल्कि सिर्फ डेटा उपलब्ध कराने को कहा।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 मार्च की शाम तक का वक्त दिया, जिसके अनुरूप अब एसबीआई ने सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। अगर एसबीआई ऐसा करने में विफल रहता तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उसे अवमानना की कार्रवाई का सामना करना पड़ता। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में चुनाव आयोग के लिए भी कोई ढील नहीं छोड़ी है। उसे भी ये डेटा 15 मार्च 2024 की शाम 5 बजे तक सार्वजनिक करने के लिए कहा गया है।