चुनावी खेल । भोजपुरी इंडस्ट्री के ‘पावर स्टार’ पवन सिंह ने बुधवार को अपने एक ट्वीट से सियासी हलचल पैदा कर दी। उन्होंने बिहार की काराकाट सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

पवन सिंह का काराकाट सीट से चुनाव लड़ने का फैसला सभी को हैरान कर गया। सबके मन में यही सवाल उठने लगा कि वह काराकाट से क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं? क्योंकि इस सीट से एनडीए की ओर से राष्ट्रीय लोक मंच के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पहले से उम्मीदवार हैं। पवन सिंह भाजपा के सदस्य हैं और पार्टी के लिए चुनाव-प्रचार करते आए हैं। जाहिर है कि पवन सिंह इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरेंगे। इससे एनडीए के वोट बैंक में बिखराव होने का जोखिम रहेगा।

आसनसोल से चुनाव लड़ने से मना किया

पवन सिंह को भाजपा ने बंगाल के आसनसोल से टिकट दिया था लेकिन उन्होंने निजी कारणों का हवाला देकर इस सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद अटकलें लगने लगीं कि वह अपने गृह जिले आरा से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन भगवा पार्टी ने यहां से आरके सिंह पर फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया। पवन सिंह ने कुछ दिनों पहले कहा था कि वह चुनाव लड़ेंगे।

कहां के हैं पवन सिंह

पवन सिंह आरा जिले से और क्षत्रिय समाज से हैं। जिले के बड़हरा प्रखंड के जोकहरी गांव में उनका परिवार रहता है। मुंबई में रहने वाले पवन सिंह अपने परिवार से मिलने आरा आते रहते हैं। अपने संगीत कार्यक्रमों के लिए भी उनका बिहार में दौरा होता रहता है लेकिन काराकाट से उनका सीधा संबंध नहीं रहा है। फिर भी उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस सीट को चुना है तो इसके भी जातीय समीकरण है। काराकाट सीट पर वैसे तो कुशवाहा बिरादरी सबसे ज्यादा है लेकिन इस सीट की जीत में यहां की राजपूत बिरादरी का अहम भूमिका रहती है। पिछले तीन चुनावों में इस सीट से कुशवाहा उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं।

2008 में बनी काराकाट लोकसभा सीट

काराकाट लोकसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया। तीनों बार यहां से एनडीए ने ही जीत दर्ज की। इस सीट पर महागठबंधन का अब तक खाता नहीं खुला है। एनडीए और महागठबंधन की ओर से इस सीट पर कुशवाहा बिरादरी पर ही भरोसा जताया गया है। एनडीए की ओर उपेंद्र कुशवाहा उम्मीदवार हैं तो इंडिया गठबंधन से भाकपा माले के पूर्व एमएलए राजाराम सिंह ताल ठोक रहे हैं। खास बात यह है कि ये दोनों उम्मीदवार कोइरी जाति से आते हैं। ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं। लोगों का कहना है कि पवन सिंह की वजह से एनडीए के वोटों में बिखराव हो सकता है।

सीमा कुशवाहा ने भाजपा पर बोला हमला

पवन सिंह की इस घोषणा के बाद बिहार में सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। विकासशील इंसान पार्टी की नेता सीमा कुशवाहा ने भाजपा पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि पवन सिंह को मोहरा बनाकर भाजपा उपेंद्र कुशवाहा को हराने का काम कर रही है। चिराग पासवान के जरिए उसने नीतीश कुमार की पार्टी को कमजोर किया और अब उपेंद्र कुशवाहा को हराना चाहती है। सीमा ने कहा कि पवन सिंह की घोषणा के बाद से कुशवाहा समाज नाराज है।

क्या था 2019, 2014 का चुनाव रिजल्ट

2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा और जद-यू ने साथ मिलकर लड़ा था। यह सीट जद-यू उम्मीदवार महाबली सिंह ने जीती। चुनाव में महाबली को 398,408 वोट मिले। दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा रहे। कुशवाहा को 313,866 वोट मिले। तीसरे स्थान पर भाकपा माले के उम्मीदवार राजा राम सिंह रहे। उन्हें 24,932 वोट मिले। 2019 के चुनाव में इस सीट पर कुल 17,59,358 मतदाता थे। जबकि 2014 के चुनाव में इस सीट से उपेंद्र कुशवाहा विजयी हुए। कुशवाहा को 338,892 वोट मिले। दूसरे स्थान पर राजद की कांति सिंह रहीं। कांति को 233,651 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जद-यू के महाबली सिंह को 76,709 वोट मिले थे।

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