बिलासपुर। गुरुवार की सुबह ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम ने प्रदेशभर में दर्जनभर जगहों पर छापेमार कार्रवाई की है। इसी कड़ी में बिलासपुर में भी शराब कारोबारी से जुड़े सीए के दफ्तर व आवास में टीम ने दबिश दी।

जहां पर दस्तावेज संकलन से लेकर अन्य जानकारी एकत्रित की जाती रहीं। बताया जा रहा कि, रायपुर के शराब कारोबारी अतुल सिन्हा को एफएल 10ए का लाइसेंस मिला हुआ है। जिसके तहत उनकी कंपनी शराब खरीदकर सरकार को सप्लाई करती है, लेकिन इसके एवज में बड़े पैमाने पर कमीशन के खेल होने की आशंका जताई जा रही है। जिसकी पड़ताल करने के लिए ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम शराब कारोबारी के बिलासपुर में रहने वाले सीए संजय मिश्रा के दफ्तर व आवास पहुंची। इसके अलावा कई और भी जगह टीम ने दबिश दी है, लेकिन इसके संबंध में आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

पूछताछ में मिले हैं जरूर इनपुट

बताया जा रहा कि ईओडब्ल्यू- एसीबी के द्वारा छत्तीसगढ़ में हुए तकरीबन 6 हजार करोंड़ के शराब घोटाले की जांच की जा रही है। इस मामले में कारोबारी अरविंद सिंह और अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया जा चुका है। कोर्ट के निर्देश पर दोनों से पूछताछ की जा रही है। जांच एजेंसी से जुड़े की माने तो प्रदेशभर में छापामार कार्रवाई इन दोनों से पूछताछ में मिले इनपुट के आधार पर की जा रही है।

दो माह पहले भी हुई थी कार्रवाई

ज्ञात हो कि ईडी के द्वारा एसीबी-ईओडब्ल्यू में केस दर्ज कराया गया है। केस दर्ज करने के बाद करीब दो माह पहले बिलासपुर के सरगांव स्थित भाटिया डिस्टलरी और कोटा स्थित वेलकम डिस्टलरी में छापेमारी की थी। साथ ही दुर्ग के कुम्हारी दुर्ग स्थित केडिया डिस्टलरी, रायपुर में अनवर ढेबर, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड समेत रिटायर्ड आइएएस अनिल टुटेजा के ठिकानों पर जांच की थी। जहां से कई महत्वपूर्ण जानकारियां टीम को लगी थीं। जिसके बाद टीम ने गुरुवार कई जगहों पर छापेमार कार्रवाईयां की।

क्या है एफएल-10 लाइसेंस

एफएल-10 लाइसेंस प्राप्त कंपनियां बाजार से शराब खरीद कर सरकार को सप्लाई करती हैं। ये खरीदी के अलावा भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का भी काम का अधिकार इस लाइसेंस के तहत कंपनी को मिलता है। आशंका जताई जा रही कि पिछली सरकार में हुए तकरीबन 6 हजार करोंड़ के शराब घोटाले के तार इन शराब ठेकेदारों व कम्पनियों से भी जुड़े हुए हैं।

मार्च 2020 से प्राइवेट कंपनियां कर रही हैं शराब की खरीदी

बता दें कि इससे पूर्व बाजार से शराब खरीदने की जिम्मेदारी बेवरेज कार्पोरेशन आफ छत्तीसगढ़ के पास थी। मगर मार्च 2020 में इस संस्था से शराब क्रय करने के सारे अधिकार कुछ प्राइवेट संस्था को दे दिए गए थे। यानी कि प्राइवेट कंपनी ही बाजार से शराब खरीदती और भंडारण व ट्रांसपोर्टेशन का काम बेवरेज कार्पोरेशन आफ छत्तीसगढ़ कर रही थी। एक बड़े भ्रष्टाचार की शुरूआत यहीं से होती है। इसके बाद कमीशन के जरिए शराब घोटाला किया गया।

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