730 ग्राम की बच्ची ने स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ाए कदम, मां के समर्पण और विशेषज्ञ की देखभाल का कमाल
भोपाल।एम्स भोपाल ने चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने एक असाधारण नवजात शिशु की जीवन रक्षा में सफलता पाई। यह बच्ची जून 2024 में गर्भावस्था के मात्र तीसवें सप्ताह में पैदा हुई थी। उसका जन्म वजन केवल 710 ग्राम था, जो “अत्यंत कम जन्म वजन” की श्रेणी में आता है।
गर्भावस्था के दौरान मां को उच्च जोखिम वाली जटिलताओं, जैसे ओलिगोहाइड्रामनिओस (एमनियोटिक द्रव की कमी) और डॉप्लर प्रवाह का अभाव, का सामना करना पड़ा। इसके चलते तत्काल सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए बच्ची का जन्म हुआ। जन्म के तुरंत बाद, नवजात को एम्स भोपाल के नवजात गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में भर्ती किया गया, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने उसकी जान बचाने के लिए दिन-रात मेहनत की।
मदर फीडिंग और विशेषज्ञ देखभाल से रचा गया नया इतिहास
बच्ची के पोषण के लिए केवल मां के दूध का इस्तेमाल किया गया। हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उसे कैल्शियम टॉनिक भी दिया गया। विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखभाल और मां के समर्पण ने इस नवजात को जीवन के सबसे कठिन चरण से बाहर निकाला।
दो महीने तक एनआईसीयू में गहन चिकित्सा के बाद बच्ची को छुट्टी दे दी गई। अब, छह महीने की आयु में, वह असाधारण प्रगति दिखा रही है। उसका वजन 4.9 किलोग्राम हो चुका है और वह पूरी तरह स्वस्थ है।
यह मामला उन्नत चिकित्सा देखभाल, मां के अटूट समर्पण और मां के दूध के अतुलनीय लाभों का उदाहरण है। एम्स भोपाल में, हम उच्च जोखिम वाले नवजातों के लिए सर्वोत्तम देखभाल प्रदान करने और उनके परिवारों को हर चुनौती में समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सफलता एनआईसीयू देखभाल और जीवनदायी पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।
प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह
कार्यपालक निदेशक एम्स भोपाल
उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं में एम्स भोपाल का योगदान
यह घटना न केवल उन्नत चिकित्सा सेवाओं की सफलता को दर्शाती है, बल्कि एम्स भोपाल की टीम के समर्पण और प्रतिबद्धता को भी प्रमाणित करती है। इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि उन्नत तकनीक, विशेषज्ञता और परिवार के सहयोग से बड़ी से बड़ी चिकित्सा चुनौती का समाधान किया जा सकता है।
एम्स भोपाल का यह प्रयास देश में चिकित्सा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार के महत्व को भी उजागर करती है।