भोपाल । एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक और सीईओ प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने अत्याधुनिक फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब का उद्घाटन किया। इस लैब को एम्स के मोर्चरी कॉम्प्लेक्स में स्थित किया गया है। इससे फोरेंसिक मेडिसिन में इसकी क्षमताएँ मजबूत होंगी। अपने संबोधन में, प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने फोरेंसिक जाँच में हिस्टोपैथोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और भविष्य में लैब की क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

नवनिर्मित लैब फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी में उन्नत शोध और निदान की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे मेडिको-लीगल मामलों के लिए महत्वपूर्ण ऊतक के नमूनों की सटीक जाँच और विश्लेषण संभव होगा। यह सुविधा एम्स भोपाल में फोरेंसिक पैथोलॉजी में एक नए युग की शुरुआत करती है, जो सटीक और समय पर हिस्टोपैथोलॉजिकल मूल्यांकन कर सकेगी। इससे मृत्यु के कारणों को निर्धारित करने और आपराधिक जाँच में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता की जा सकेगी। डॉ. अरनीत अरोड़ा (प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष एफएमटी) ने बताया कि हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच से 40% मामलों में मौत का कारण निर्धारित किया जा सकता है, जहां सकल शव परीक्षण निष्कर्षों से मृत्यु का कारण पता नहीं लगाया जा सकता है। फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी पुलिस को मेडिकोलीगल मामलों में मौत का कारण बताने और वैध जांच के लिए मामलों का मूल्यांकन करने में मदद करती है। इसके अलावा यह शिक्षण और अनुसंधान कार्यों में भी मदद करेगी। एफएमटी विभाग फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब के उद्घाटन के साथ ही मेडिकोलीगल मामलों में ऊतक प्रसंस्करण और स्लाइड तैयार करने में आत्मनिर्भर हो जाएगा। प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब की स्थापना में शामिल सभी लोगों के प्रयासों की सराहना की और एम्स भोपाल में फोरेंसिक जांच और चिकित्सा शिक्षा के उच्च मानकों को बनाए रखने में इसके महत्व पर जोर दिया।

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