नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 और 23 अक्टूबर को रूस के कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्‍स (BRICS) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं. इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी मुलाकात भी होगी।

जानकारों का मानना है कि इस मुलाकात के दौरान रूस वंदे भारत ट्रेन प्रोजेक्ट पर भी भारत के साथ चर्चा कर सकता है. रूस की कंपनी ट्रांसमाशहोल्डिंग (TMH) और भारतीय कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड के ज्‍वाइंट वेंचर ने 200 ट्रेनें बनाने के लिए 56000 करोड़ रुपये का टेंडर भारत सरकार से हासिल किया था. लेकिन, टीएमएच के इस कंसोर्टियम में शेयरहोल्डिंग को रीस्ट्रक्चर करने की अपील सरकार द्वारा ठुकरा देने से यह प्रोजेक्‍ट अटका हुआ है।

गौरतलब है कि 200 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए भारतीय कंपनी आरवीएनएल, रूसी कंपनी TMH की सब्सिडियरी कंपनी मेट्रोवैगनमैश और लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम ने एक कन्‍सोर्टियम, काइनेट रेलवे सॉल्‍यूशंस बनाया। सरकार से इन्‍हें टेंडर भी मिल गया। टेंडर मिलने के बाद टीएमएच ने सरकार से कन्‍सोर्टियम के शेयरहोल्डिंग को रीस्ट्र्क्चर करने की अपील की, जिसे सरकार ने मानने से इंकार कर दिया। साथ ही सरकार ने 200 की जगह 120 ट्रेनें बनाने को कहा। इससे प्रोजेक्ट की लागत भी घटाकर 36 हजार करोड़ रह गई।

जुलाई में भी उठा था यह मुद्दा

वंदे भारत ट्रेन के निर्माण से जुड़ा यह मुद्दा जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी के मॉस्को दौरे के दौरान उठाया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस बार भी रूस इसे प्रमुखता से उठाना चाहता है. पीएम मोदी और पुतिन की यह मुलाकात मौजूदा प्रोजेक्ट्स के लिए अहम मानी जा रही है. रूसी टीम ने हाल ही में भारत का दौरा भी किया, लेकिन सरकार ने अब तक इस मामले में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है. ऐसी उम्मीद है कि BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान इस मुद्दे पर स्पष्टता आ सकती है।

टीएमएच ने क्‍यों की शेयरहोल्डिंग रीस्ट्र्क्चर की मांग?

टीएमएच काइनेट रेलवे सॉल्‍यूशंस के शेयरहोल्डिंग में बदलाव इसलिए करना चाहती है ताकि इस प्रोजेक्‍ट पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर न हो. टीएमएच उन कंपनियों में शामिल है, जिसपर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं. आरवीएनएल के काइनेट रेलवे सॉल्‍यूशंस में 25 फीसदी शेयर हैं। टीएमएच की सब्सिडियरी मेट्रोवैगनमैश (MWM) की हिस्‍सेदारी 70 फीसदी तो लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स (LES) सिस्टम की पांच फीसदी है. टीएमएच ने सरकार से MWM और LES की शेयरहोल्डिंग आपस में बदलने की अपील की है। हालांकि सरकार ने अब तक इसकी अनुमति नहीं दी है।

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