देशभर में लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं। सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। प्याज तो रुला ही रहा था, लेकिन अब आलू और टमाटर के दाम भी रुलाने लगे हैं।
मंडी हो या खुदरा बाजार हर जगह सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। टमाटर तो खुदरा बाजार में शतक भी लगा चुका है। वहीं, प्याज 50 और आलू के दाम 35 रुपए तक पहुंच गए हैं।
मंडी में भी बढ़े दाम
आलू की कीमतें मंडी में ही 1,076 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2100 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच चुकी हैं। हिमाचल समेत दूसरे पहाड़ी इलाकों में बारिश से संबंधित परिवहन समस्याओं के कारण टमाटर की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।
सब्जियों और खाद्य पदार्थों की कीमतें अक्टूबर में अगली फसल आने तक ऊंची बने रहने की संभावना है, ऐसा क्यों है आइए जानते हैं…
ये हैं सब्जियों के दाम बढ़ने के कारण
व्यापारियों के अनुसार, सब्जियों की थोक और खुदरा कीमतों में इजाफा के सबसे बड़ा कारण मानसून के बाद परिवहन संबंधी समस्याओं और टमाटर की फसल को हुए नुकसान है। हालांकि, मानसून से पहले गर्मी की स्थिति कुल मिलाकर बागवानी फसलों के लिए हानिकारक रही है।
वहीं, दूसरा कारण ये है कि राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) जैसी सरकारी एजेंसियों ने बफर स्टॉक की जरूरत को पूरा करने के लिए खरीददारी तेज कर दी है, जिसके बाद दाम बढ़े हैं।
अभी कीमतों में नहीं आएगी कमी
अगली फसल की कटाई तक खाद्य कीमतों में कमी आने की संभावना नहीं है। कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 23-24 की जुलाई-जून अवधि के लिए फसल उत्पादन 25.47 मिलियन टन है, जो वित्त वर्ष 22-23 में 30.2 MT से 16 प्रतिशत कम है। इसका कारण सर्दियों में कम बारिश का होना है।
दूसरी ओर अक्टूबर के अंत तक खरीफ फसलों में अपेक्षित देरी से कीमतों में तेजी आने की उम्मीद है।