उत्पादन प्रभावित किसान परेशान

मध्य प्रदेश। प्रदेश के मंदसौर, नीमच और रतलाम जिलो में अफीम की खेती की जाती है इस समय अफीम की फसल लगभग तैयार हो चुकी है। अफीम के पौधों में आने वाले डोडों से अफीम निकालने का काम किया जा रहा है। किसान और परिजन खेतों में डोडों की चिराई और लुनाई के काम में जुटे हैं। लेकिन अफीम की खेती करने वाले इन किसानों को तोतो ने मुसीबत में डाल रखा है. दरअसल यहां के तोते अफीम की फसल चट करने लगे हैं. उन्हें नशे की लत लग गई है. ऐसी स्थिति में किसान अफीम की फसल को बचाने के लिए तरह तरह के जतन करने में लगे हुए है।

 इन जिलों में होती है अफीम की खेती

मंदसौर रतलाम और नीमच जिले में अफीम की खेती होती है. अफीम की खेती ठंड के मौसम में होती है। इसकी फसल अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच में लगाई जाती है। मंदसौर रतलाम और नीमच जिला अफीम की खेती के लिए खास पहचान रखता है। अफीम की खेती और लाइसेंस के लिए कुछ शर्तें भी होती हैं, जिनका पालन किसानों को करना होता है।

तोतों को लगी अफीम की लत

आमतौर पर हम यही सुनते है कि तोते फल सब्जियां ही खाते है, लेकिन अफीम उत्पादन वाले जिलो में तोतो को अफीम भा रही है और इस कदर भा रही है कि तोते अफीम के आदी हो चुके है, जिसको लेकर पक्षी विशेषज्ञ बताते हैं कि अफ़ीम सेवन से उनके नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है और वो इसके बिना नहीं रह पाते। ऐसे में नशेड़ी तोतों के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ चुकी है, और वो जाली बांधकर अपनी फसलों को बचाते देखे जा रहे हैं।

रोग आने से भी उत्पादन प्रभावित

अभी सुबह-शाम सर्दी जबकि दोपहर के समय सर्द हवाओं के साथ गर्मी का मौसम भी असर दिखा रहा है। अभी किसान अफीम की फसल में चीरा लगा रहे हैं, मौसम के इस बदलाव से जिले में अफीम की फसल में रोग आ रहे हैं। किसानों की मानें तो अफीम के पौधों में काली और सफेद मस्सी का प्रकोप है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि अफीम में काली, सफेद मस्सी का रोग आ गया है, इसके कारण डोडों का रंग काला होने लगा है, अफीम का पौधा भी सूखने लगा है। इस कारण भी अफीम उत्पादन प्रभावित होने की बात भी किसानो ने बताया।

आखिर किसान क्यों इतने परेशान

दरअसल अफीम की खेती के लिए सरकार से लाइसेंस लेना होता है, इसका लाइसेंस भी हर जगह खेती के लिए नहीं मिलता, बल्कि कुछ खास जगहों पर ही खेती के लिए दिया जाता है किसानों को खेती के लिए केंद्र के वित्त मंत्रालय ने लाइसेंस और सीपीएस पद्धति से अफीम उत्पादन के लिए जारी किए जाते है। और उत्पादित अफीम को किसानों से सरकार ही खरीदती है अगर उत्पादन औसत से कम होता है तो किसानों का लाइसेंस रदद् कर दिया जाता है।

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