इंदौर। वर्ष 2015 से बिना अनुमति के चितावद क्षेत्र में संचालित हो रहे देवी अहिल्या एवं रिसर्च सेंटर को सील करने के आदेश शुक्रवार को कलेक्टर आशीष सिंह ने दिए। ऐसे में अब अस्पताल में भर्ती मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है। विगत नौ साल से बिना अनुमति अस्पताल संचालित हो रहा था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को भनक नहीं लगी।

पिछले महीने अस्पताल संचालक द्वारा कैंसर के मरीजों के उपचार के लिए मुख्यमंत्री से सहायता राशि की मांग की गई। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों ने इंदौर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को जांच के निर्देश दिए। 1 मार्च को टीम द्वारा जांच में यह खुलासा हुआ कि अस्पताल बिना अनुमति के संचालित हो रहा है और कैंसर के 13 मरीजों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा था।

अस्पताल में मिली कई अनियमितताएं

अस्पताल मालिक के पास कोई योग्य डिग्री नहीं थी, लेकिन योग्यता के तौर पर वह खुद को बीईएमएस डिग्री के साथ डाक्टर बता रहा था। टीम जब अस्पताल पहुंची तो यहां कई अनियमितताएं पाई गई। अस्पताल के पास निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति भी नहीं थी। अस्पताल में मिले अन्य चिकित्सकों के पास भी बीईएमएस की डिग्री मिली थी। इस मामले की जांच रिपोर्ट के पश्चात कलेक्टर ने अस्पताल को सील करने निर्देश दिए।

मरीजों के शिफ्ट होते ही अस्पताल होगा सील

नौ साल से नियमों को ताक में रखकर अस्पताल संचालित होता रहा और स्वास्थ्य विभाग के अफसर आंख मूंदे बैठे रहे। कलेक्टर ने आदेश दिए हैं कि अस्पताल में भर्ती मरीजों के डिस्चार्ज होने तक या अन्यत्र अस्पताल में शिफ्ट होने तक प्रतिदिन की मानिटरिंग आइडीएसपी नोडल अधिकारी डा. अमित मालाकार करेंगे। सभी मरीजों के डिस्चार्ज होने पर तत्काल इसकी सूचना अनुविभागीय अधिकारी जूनी इंदौर एवं इस कार्यालय को देना होगी। अस्पताल में उपचाररत मरीजों के शिफ्ट होने पर एसडीएम इसे सील करेंगे। अस्पताल में नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा। इस संबंध में वहां नोटिस भी चस्पा किए जाएंगे।

दोषी डॉक्टर पर कार्रवाई के आदेश भी दिए

कलेक्टर ने कार्रवाई के लिए सीएमएचओ को निर्देशित किया है। कलेक्टर कहा है कि नियम विरुद्ध अस्पताल संचालन एवं गैर पैशेवर डाक्टर द्वारा उपचार किए जाने पर अस्पताल के संचालक व उसमें कार्यरत दोषी डाक्टर के खिलाफ चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनिगम 1973 अंतर्गत संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज कर, आवश्यक कार्रवाई की जाए। वहीं नगर निगम को आदेश दिए हैं कि अस्पताल भवन का निर्माण बिना अनुमति किए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाए।

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