ग्राउंड रिपोर्ट – छत्तीसगढ़ की बिलासपुर लोकसभा सीट काफी हॉट सीट मानी जाती है। यह सीट 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी| 2019 में BJP के अरुण साव यहां से सांसद बने। 2024 में बीजेपी ने बिलासपुर से तोकल साहू को उम्मीदवार बनाया। पिछले कई सालों से बिलासपुर बीजेपी का गढ़ रहा है। 1996 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है।

बिलासपुर लोकसभा सीट पर कितने वोटर्स?

बिलासपुर लोकसभा सीट पर करीब 18,11,606 वोटर्स हैं| इनमें से 9,21,521 पुरुष मतदाता हैं जबकि 8,89,970 महिला वोटर्स हैं। पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में 12,09,434 मतदाताओं ने मतदान किया था| मतलब यहां 67 फीसदी मतदान हुआ था। वर्तमान में बिलासपुर लोकसभा में पिछली मर्तबा के मुकाबले मतदाता बढ़कर 20,94,570 हो गए हैं, जिसमे पिछली बार के मुकाबले 9,841 पुरुष और 14,713 महिला मतदाता में बढ़ोतरी हुई है।

छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीट बिलासपुर का चुनावी इतिहास बेहद दिलचस्प है| कांग्रेस-भाजपा प्रमुख पार्टियों में 7 बार कांग्रेस तो 7 बार भाजपा चुनाव जीत चुकी है| केवल एक बार निर्दलीय प्रत्याशी तो एक बार लोकदल के प्रत्याशी को जीत मिली थी। 4 बार लोकसभा चुनाव जीत कर मुंगेली जिले के भाजपा नेता पुन्नूलाल मोहले ने पार्टी की जमीन तैयार की थी। उनके पहले कांग्रेस के रेशमलाल जांगड़े, भाजपा के लखनलाल साहू और अरुण साव मुंगेली जिले के रहने वाले और चुनाव जितने वाले सांसद बने। इस बार भी भाजपा ने मुंगेली जिले के साहू समाज के नेता और पूर्व विधायक तोखन साहू का नाम तय किया है।  बिलासपुर लोकसभा सीट एक महत्वपूर्ण सीट है। यह सीट भाजपा के गढ़ के रूप में जानी जाती है।

बीजेपी से तोखन मैदान में

भाजपा ने बिलासपुर लोकसभा सीट के लिए लोरमी के पूर्व विधायक तोखन साहू को टिकट दिया है। तोखन साहू वर्तमान में भाजपा किसान   मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। बात इनके सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन की करें, तो तोखन साहू 2013 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। 2014-15 में श्री साहू सदस्य महिलाओं एवं बालकों के कल्याण सम्बंधी समिति, सदस्य प्रत्यायुक्त विधानसभा समिति, छत्तीसगढ़ विधानसभा रह चुके हैं। उसके बाद 2015 में वह संसदीय सचिव छत्तीसगढ शासन रहे। 2013 में तोखन ने निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 26 लोरमी से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में तोखन को 52302 मत मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस के धर्मजीत सिंह थे, जिन्हें 46061 वोट मिले और तोखन साहू विधायक चुने गए।

कांग्रेस ने युवा नेता देवेंद्र यादव को बनाया प्रत्याशी

कांग्रेस ने भिलाई नगर सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए देवेंद्र यादव को बिलासपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है। उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी प्रेम प्रकाश पांडेय को 1264 मतों के अंतर से चुनाव हराया है। देवेंद्र यादव 2018 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे। देवेंद्र यादव ने स्कूल के दौरान ही कांग्रेस की छात्र राजनीति में कदम रख दिया था। वे एनएसयूआई के प्रतिनिधि व एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष रहे हैं साथ ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव व राष्ट्रीय महासचिव भी रहे हैं। मात्र 25 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के महापौर बनने का खिताब देवेंद्र यादव को मिला है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में देवेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष व मंत्री रहे कद्दावर भाजपा नेता प्रेम प्रकाश पांडे को दूसरी बार चुनाव हराया हैं। देवेंद्र यादव के ऊपर अब तक कुल 9 आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए हैं, जिनमे से अधिकतर ED में हैं।

बाहरी बनाम स्थानीय बना चुनावी मुद्दा

कोंग्रेस ने दुर्ग के देवेंद्र को बिलासपुर से चुनावी समर में उतार भाजपा को घर बैठे बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा दे दिया है।दरअसल भाजपा ने जब दुर्ग की सरोज पांडेय को कोरबा लोकसभा से टिकट दिया तो कोंग्रेस ने कोरबा में बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा उछाला लेकिन बिलासपुर से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होते ही मामला काउंटर हो गया ऐसे में भाजपा के लिए ये फायदे की बात है वही स्थानीय कोंग्रेस नेता भी पार्टी के इस फैसले से नाराज़ नजर आए और टिकट बदलने के लिए अनशन तक कर डाला।ऐसे में विधायक देवेंद्र की संसद पहुँचने की राह आसान नही दिखाई पड़ती।

लोकसभा 2024 में क्या है बड़ा मुद्दा

बिलासपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत मध्य भारत का सबसे बड़ा रेल जोन भी आता है। कोल ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा केंद्र बिलासपुर ही है| इसलिए व्यापारिक दृष्टिकोण से बिलासपुर सीट काफी महत्वपूर्ण हो जाती है|विधानसभा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने कोल स्कैम, महादेव एप और राम मंदिर मुद्दे को भुनाया,उससे कहीं ना कहीं बीजेपी ने खोई सत्ता वापस पाई है| रही सही कसर महतारी वंदन ने पूरी कर दी| सरकार बनने के बाद पीएससी घोटाले की जांच, महिलाओं के खाते में एक हजार राशि का अंतरण, किसानों को बकाया धान बोनस और यूपीएससी की तर्ज पीएससी परीक्षा का पैटर्न तय करने में बीजेपी ने जरा भी देरी नहीं की है| वहीं कांग्रेस की बात करें तो केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई, पार्टी के खाते सीज करने का प्रकरण और इलेक्टोरल बॉन्ड पर चुप्पी साध लेने जैसे मुद्दों को कांग्रेस जनता के बीच लेकर जा रही है| ऐसे में देखना ये होगा कि जनता पर अब भी विधानसभा चुनाव का खुमार चढ़ा है या फिर कांग्रेस के नए प्लान ने जनता के सामने केंद्र सरकार की दूसरी छवि पेश करने में कामयाबी हासिल कर ली है।

क्या है कांग्रेस के लिए चुनौती ?

बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में दो जिले आते हैं| पहला तो बिलासपुर और दूसरा गौरेला – पेंड्रा – मरवाही| इन दोनों जिलों को मिलाकर कुल आठ विधानसभा क्षेत्र हैं| लोकसभा क्षेत्र में 20 लाख से भी ज्यादा मतदाता हैं। बिलासपुर में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा है। ऐसे में ये कहना गलत ना होगा कि दोनों ही पार्टियों को महिला वोटर्स से सबसे ज्यादा उम्मीद है। बीजेपी ने इस बार लोरमी विधानसभा से ही लोकसभा उम्मीदवार का चुनाव किया है। पिछली बार भी लोरमी रहवासी अरुण साव को मैदान में उतारा गया था| वहीं कांग्रेस की बात करें तो भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव को चुनाव में बिलासपुर सीट जीतने का जिम्मा मिला है| देवेंद्र यादव के नाम का ऐलान होने पर कांग्रेस का एक खेमा अब भी नाराज चल रहा है।

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